Us Raste Se Na Jana
Us Raste Se Na Jana (उस रास्ते से न जाने)
This Poem is Dedicate To Children Who Died In Peshawar Pakistan
उस रास्ते से न जाने
आज कितनी ही हस्सी गायब है
गूंजा करती थी कभी
यहाँ सिर्फ चहकने की आवाज़
मातम का छाया साया
आज वहां सरे आम है
उनकी मासूमियत भरी बातों को
अब हमेशा के लिए ग्रहण लग गया है
उनके हलके से कदमो को
ठहराव ने जैसे कस लिया है
खेल के वो तमाम पहलु
जो कभी उनकी झोली मैं
खेला करते थे
ना जाने वो अब कभी भी
उम्र भर ना जबान हो
खुद रेहमत करे
उन नन्हे फूलों पर
खुशबू उनकी हमेशा
बानी रहे गुले गुलज़ार हो
उस रास्ते से न जाने
आज कितनी ही हस्सी गायब है
माँ ने भेजा यह कहकर उसे
के रोशन करना घर का नाम
ऐसी ऊँची शिक्षा पाना
फ़िज़ाओं में गूंजे बस तेरा ही नाम
पिता ने उसको चूमा था
गालो को उसके सहलाया था
किया था वादा घर जल्दी आऊंगा
आकर उसको साइकिल पे घुमायूँगा
पर ना पता था उनको
के लाल कभी नहीं आएगा
आंतक के साये मैं
वो हमेशा के लिए मिट जायेगा
चुप है सारी इंसानियत
शर्मसार हुआ पूरा जहान है
आज जो किया है इंसान ने
दिलबर उसका हिसाब तो बेहिसाब है
उस रास्ते से न जाने
आज कितनी ही हस्सी गायब है
Source: Krish Nirankari
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